Shabnami fiza (शबनमी फिज़ा)
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वह सिलसिले मोहब्बत के वह रहबर कहां गये..
वह जज़्बात वह लम्हेँ वह मंज़र कहां गये,
मेँरे ग़म मेँ जिसे ‘आबिद’ कभी हंसना गवारा न था..
आँखोँ मेँ उसकी तैरते वह समन्दर कहां गये?
=========>आबिद
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